प्रागपुर , 9 सितम्बर ( पूजा ):ब्रह्म स्थिर,जगत अस्थिर:प्रो सुब्बरायुडु सेंट्रल संस्कृत यूनिवर्सिटी के परागपुर के निकटवर्ती बलाहर गांव में स्थित वेद व्यास परिसर में अद्वैत वेदांत विभाग द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। “उपनिषद में निहित आख्यायिकाओ में दार्शनिक चिंतन का व्यवहारिक उपादेयता” विषय पर हुए सेमिनार में बतौर मुख्यातिथि सी एस यू के पूर्व कुलपति प्रो के बी सुब्बरायुडू ने शिरकत की।
वहीं इस सेमिनार में सारस्वत अतिथि के रूप में लाल बहादुर शास्त्री विश्वविद्यालय दिल्ली के न्याय विभाग के आचार्य प्रोफेसर महानंद झा एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली के वेदांत विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर के. अनंत उपस्थित रहे।कार्यक्रम की अध्यक्षता वेदव्यास परिसर के निदेशक प्रोफेसर सत्यम कुमारी ने की। इस प्रकार इस प्रकार विभिन्न विश्वविद्यालयों से शोध पत्र वाचन भी उपस्थित हुए।
इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आए प्रोफ़ेसर के.बी . सुब्बारायूडू ने अस्थिरता और स्थिरता के विषय में बताते हुए कहा कि एक के स्थिर रहे बिना दूसरे में अस्थिरता नहीं आ सकती।अतः ब्रह्म स्थिर है और जगत अस्थिर है। इसी क्रम में बतौर सारस्वत अतिथि के रूप में आए प्रोफेसर महानंद झा ने बताया कि उपनिषदों में जो संवाद हैं, उन संवादों में व्यवहारिक पक्ष पर ही जोर दिया गया है, जैसे “सत्यम वद, धर्मम चर” आदि ।
वहीं लाल बहादुर शास्त्री विश्वविद्यालय दिल्ली के वेदान्त विभाग के अध्यक्ष प्रो के.अनंत ने कहा कि उपनिषद में निहित संवादों का उपयोग अच्छे समाज के निर्माण में बहुत जरूरी है । इसी क्रम में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के वेदव्यास परिसर के शिक्षा शास्त्र विभाग के सहायकाचार्य डॉ सत्यदेव व योग विभाग की सहायकाचार्य डॉ दर्शाना राय ने अपने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
उक्त एक दिवसीय सेमिनार वेदांत विषय के विभागाध्यक्ष प्रो मंजू नाथ एस जी भट्ट व वेदांत विभाग की सहायकाचार्य डॉ के. मनोज्ञा के समन्वयन में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के अंत में डॉ राजन मिश्र द्वारा धन्यवाद ज्ञापित कर कार्यक्रम की समाप्ति की गई । इस अवसर पर वेदान्त विभाग के समस्त शिक्षकों सहित परिसर के समस्त शिक्षक व छात्र छात्राएं मौजूद रहे।