मंडी
बल्ह उपमंडल के तहत आने वाली ग्राम पंचायत ढाबण के डडोह गांव निवासी दंपत्ति ने सिविल हॉस्पिटल सुंदरनगर पर डिलीवरी में लापरवाही बरतने के आरोप लगाए हैं। धनी राम और उनकी पत्नी अर्चना ने इस संदर्भ में मुख्यमंत्री सेवा संकल्प पर शिकायत दर्ज करवाई। साथ ही स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कर्नल धनीराम शांडिल को ईमेल के माध्यम से शिकायत भेजकर कार्रवाई की मांग उठाई है।
शिकायतकर्ता 38 वर्षीय अर्चना ने बताया कि 18 दिसंबर को प्रसव के लिए उसे सिविल हास्पिटल सुंदरनगर में भर्ती करवाया गया। 26 घंटों तक वो दर्द से कराहती रही, लेकिन उसकी डिलीवरी की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया। परिजनों द्वारा सिजेरियन का निवेदन करने के बाद भी नॉर्मल डिलीवरी ही करवाई गई। 19 दिसंबर को डिलीवरी हुई तो बच्चा बाहर नहीं आ रहा था।
अर्चना का आरोप है कि लेबर रूम में मौजूद नर्सों ने उसके पेट पर चढ़कर जबरन बच्चे को बाहर निकाला। जब बच्चा पैदा हुआ तो वह बिल्कुल भी नहीं रोया। ऐसे में डॉक्टर ने उसे तुरंत प्रभाव से मेडिकल कॉलेज नेरचौक रैफर कर दिया जबकि अर्चना को वहीं पर ही रखा। 23 दिसंबर को उपचार के दौरान इस नवजात की मौ*त हो गई। बताया गया कि बच्चे के सभी ऑर्गन फेल हो गए थे जिस कारण उसकी मौ*त हुई। अर्चना का कहना है कि डिलीवरी से पहले उसके बच्चे के गर्भ के सभी टेस्ट सामान्य थे। डिलिवरी करवाने के दौरान जो कोताही बरती गई उसी कारण उसके बच्चे की मौ*त हुई है।
अर्चना के पति धनी राम ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री सेवा संकल्प के 1100 नंबर पर शिकायत दर्ज करवाने के साथ ही स्वास्थ्य मंत्री डा. कर्नल धनीराम शांडिल, नाचन के विधायक विनोद कुमार, सुंदरनगर के विधायक राकेश जम्वाल और सुंदरनगर अस्पताल प्रबंधन ईमेल के माध्यम से शिकायत भेज दी है। इन्होंने मांग उठाई है कि मामले की निष्पक्ष जांच करके दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए क्योंकि यह सरासर लापरवाही का मामला है। अस्पताल के स्टाफ का व्यवहार भी मरीज के प्रति सही नहीं था और लेबर रूम में किसी को भी जाने नहीं दिया जा रहा था।
वहीं, जब इस बारे में सीएमओ मंडी डा. नरेंद्र भारद्वाज से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में परिवार के लोगों ने सीएमओ सुंदरनगर को शिकायत भेजी है। जो शिकायत मिली है उसकी जांच करवाई जाएगी और उसमें जो भी तथ्य सामने आएंगे उसी आधार पर आगामी कार्रवाई होगी।
