जंगली सुअर और बंदरों ने की किसानों की नींद हराम



दिन में बंदर मचा रहे उत्पात, रात को सुअर बोल रहे खेतों में धावा ।

मक्की की फसल के साथ साथ नगदी फसलों का भारी नुकसान

किरण राही/ पधर /मंडी।

जिला के द्रंग क्षेत्र में किसान जंगली जानवरों के आतंक से खासे परेशान हैं। यहां दिन को बंदर सेना और रात को जंगली सुअरों ने किसानों की नींद हराम कर दी है। जंगली जानवर मक्की सहित अन्य नगदी फसलों से भरे खेतों को तबाह कर रहे हैं। आलम इस कद्र है कि कई खेतों में मक्की का नामोनिशान तक नहीं रहा है।

ऐसे में दिन रात की मेहनत पर पानी फिरता देख किसान आंसू बहाने को मजबूर हुए हैं।
द्रंग क्षेत्र की कटिंडी, तरयांबली, गरलोग, पाली, कुन्नू, डलाह, सियून, गवाली, उरला, चुक्कू, कुफरी, बड़ीधार, भड़वाहण, बह, शीलग, नौहली, बयूंह, भराड़ू और कस आदि पंचायतों में इन दिनों जंगली जानवरों ने खूब तबाही मचाई हुई है।


किसानों की मानें तो दिन में बंदरों की फौज खेतों में घुसती है तो रात को जंगली सुअर मक्की की फसल को तबाह कर रहे हैं। किसान दिन-रात की रखवाली के बाद भी अपनी फसल को बचा नहीं पा रहे हैं। खेतों में फसल का नामोनिशान तक नहीं रह रहा है। ऐसे में किसान खेतों से मक्की की कच्ची फसल काट कर पालतू मवेशियों को चारे में देने को मजबूर हो गए हैं।


बंदरों की संख्या कम करने के लिए प्रदेश सरकार की बंदर पकड़ने व नसबंदी करने की योजना भी फेल हो गई है।
वन विभाग भी इस दिशा में अब कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है। जिस वजह से किसान खेतीबाड़ी के धंधे से हाथ पीछे खींचने को मजबूर हो गए हैं।
द्रंग के रुंझ गांव की निर्जला ठाकुर ने बताया कि बीते रोज जंगली सुअर आधा दर्जन खेतों से मक्की की खड़ी फसल पूरी तरह तबाह कर गए। जिससे खेत पूरी तरह खाली हो गए हैं।

पंचायत समिति द्रंग की अध्यक्षा शीला ठाकुर, उपाध्यक्ष कृष्ण भोज, समिति सदस्य लेख राम ठाकुर, घनश्याम ठाकुर, कविता चौहान, कश्मीर सिंह, कृपाल सिंह, वीणा भारद्वाज सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने किसानों को खेती की रखवाली की एवज में मनरेगा के तहत दिहाड़ी उपलब्ध करवाने की मांग उठाई है। वहीं जंगली जानवरों से फसलों को सुरक्षित बचाने के लिए ठोस योजना बनाने की भी मांग की है। इसके साथ हाल ही में किसानों की फसलों के हुए नुकसान का उचित मुआवजा प्रदान करने की मांग सरकार से की है।

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