किरण /पधर (मंडी)।
स्नोरघाटी की ग्राम पंचायत टकोली के प्रसिद्ध मेला में घाटी के प्रमुख अराध्य देव बरदनाग ऋषि इस बार भाग नहीं लेंगे। मेला का आयोजन हर वर्ष आषाड़ के पांच प्रविष्ठे 19 जून रविवार को होना है। देव बरदनाग ऋषि स्नोर के भंडारी अशोक ठाकुर ने बताया कि इस मेला में ऋषि बरदनाग के साथ घाटी के देव खवलाशी नारायण भी भाग लेते हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से देव बरदनाग ऋषि और देव खवलाशी नारायण के भंडारी (प्रमुख कारदार) आपसी विवाद के चलते मेला के इतिहास को समाप्त करना चाहते हैं। कई बार कोशिश की जा चुकी है कि देव समाज के साथ साथ आपसी भाईचारे को भी समाप्त किया जाए। ठाकुर ने कहा कि विवाद देवता के प्रमुख भंडारियों के बीच का हो लेकिन देव समाज में परंपरा को समाप्त करना जनता बरदाश्त नहीं करेगी। देव बरदनाग ऋषि हाल ही में प्रसिद्ध पराशर मेला में हाजिरी भरने के उपरांत अपने स्नोरघाटी स्थित प्राचीन मंदिर ज्वालापूर को लौट आए हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में देवताओं के भंडारियों द्वारा आपसी रंजिश के चलते मेला में लड़ाई झगड़ा कर देव मिलन में बाधा डालकर इस मेला को समाप्त करने की कोशिश की जा चुकी है। कोरानाकाल में मेला का आयोजन नहीं हो सका। रविवार को मेला मेें दोनों देवों ने हाजिरी भरनी थी। देव समाज के क्षुब्ध लोग मेला के सफल आयोजन को लेकर चिंता में हैं। ऐसे में निर्णय लिया गया कि देव प्रमुख कारदारों के विवाद के चलते मेला के आयोजन में रोक लगाई जाए। देव बरदनाग ऋषि के हार कारकूनों ने देवता को मेला स्थल तक ले जाने में इस बार रोक लगाने का निर्णय लिया है। इसको लेकर देव खवलाशी नारायण के कारकूनों ने भी हामी भरी है। ठाकुर ने कहा कि जब तक टकोली मेला में देव भंडारियों का आपसी विवाद सुलझ नहीं जाता तब तक वह अपने कार्यकाल में देवता को टकोली मेला में भाग लेने नहीं ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि देवता के भंडारी अनेक परिवारों से हैं। कुछ परिवारों का आपस में विवाद है। जो देव समाज के लिए उन्हें अपने कार्यकाल में कतई मंजूर नहीं है। देवता के प्रमुख कारदार अपने विवाद को सुलझाएं, उसके उपरांत में ही मेला के आयोजन पर विचार हो सकेगा। उन्होंने इसकी मंजूरी भी देवता से ले ली है।
