रामपाल है न चिंता कैसी?
लंबी दूरी का सफ़र करने वाली महिलाएं, बजूर्ग, और बच्चे करते है रामपाल के साथ ज़ाना पसंद।
परिवार के सदस्य की भांति आम जनता से जुड़ाव।
हिमाचल पथ परिवहन निगम में कार्यरत एक बस ड्राइवर एसा भी है जिसे लोग अपने परिवार की भांति समझते है। स्कूली बच्चे के चहरे इनको देखकर खील उठते है।

ये बच्चों से बहुत प्यार करते है। क्षेत्र का बच्चा बच्चा इनसे परिचित है। लोग कीमती सामान पुरे विश्वास से इनके पास भेजते है। यहां तक की यदि सामान लेने कोइ आया नही तो उसे संभाल कर अपने पास रखेंगे और दुसरे दिन वो सामान उस व्यक्ति तक पहुंच जाता हैं।

जिस दिन इनका रूट शिमला का होता है तो लोग अपने बच्चों को लस्सी, दूध व अन्य सामान बड़े विश्वास से भेजते है। इनके पास वाली सीट से लेकर पीछे वाली सीट तक लस्सी दुध की बोतलो के थैले लटके होते है।
कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं होगा जो इनकी सेवा भाव का कायल न हुआ हो। हमेशा इनके चेहरे पर मुस्कान होती है। कोई अकेली महिला, बच्चा या बजुर्ग कही जा रहा हों तो जुबान मे एक शब्द निकलता है आज रामपाल है न तो चिंता नहीं है।

पोस्ट :धन्यवाद चंद्र मोहन जी
