विपुल गुप्ता, सुजानपुर, न्यूज हिमाचल 24
पोषण, बाल विकास, न्यूट्रिशन स्मार्ट एग्रीकल्चर इत्यादि विषयों पर जनसंवाद के द्वितीय दौर के कार्यक्रमों का आयोजन, विशेष बाल स्वास्थ्य जांच अभियान और पोषण उत्सव होंगे विशेष आकर्षण ।
विश्व अर्थव्यवस्था में नेतृत्वकारी भूमिका की आकांक्षा की पूर्ति हेतु एक देश के रूप में हमें प्रारंभिक बाल जीवन विशेषकर गर्भाधारण से बच्चे के जीवन के प्रथम 2 वर्षों की कालावधि पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है और महिला एवं युवा नेतृत्व को इस में अग्रणी भूमिका का वहन करना होगा।
बाल विकास के प्रक्षेप पथ (ग्रोथ ट्राजैक्ट्री) में 1000 दिन का यह कालखंड अत्यंत संवेदनशील और महत्वपूर्ण समय होता है। इस अवधि में जीवन के संपूर्ण स्वास्थ्य, वृद्धि और विकास की न केवल आधारशिला तैयार होती है, अपितु वृद्धि और विकास की गति अद्वितीय और अभूतपूर्व होती है।
यह समय उच्च स्तरीय पोषण एवं स्वास्थ्य, स्वच्छता, सुरक्षा और प्रेरणा से परिपूर्ण उच्चतम देखभाल की मांग करता है। यह उच्चतम देखभाल एवं प्रेरणादायक वातावरण ही उस व्यक्तिगत संज्ञात्मक (कॉग्निटिव), भाषायी और भावनात्मक विकास तथा सामाजिक कौशल एवं गरिमामयी आत्मविश्वास को जन्म देता है जो संपूर्ण समाज और मानवता को नेतृत्व प्रदान करने की क्षमता रखता है।
उक्त विचार बाल विकास परियोजना अधिकारी सुजानपुर कुलदीप सिंह चौहान ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय चौरी में ‘युवा छात्र संवाद’ तथा ग्राम पंचायत बनाल, डेरा एवं रंगड में ‘सशक्त महिला योजना’ एवं ‘वो दिन योजना’ के अंतर्गत पंचायत स्तरीय जनसंवाद के द्वितीय चरण के कार्यक्रमों में जन समुदाय से संवाद करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा की अधिकतम पोषण (ऑप्टिमम न्यूट्रिशन) संबंधी परिणाम तभी प्राप्त हो सकते हैं जब किफायती एवं विधिक पोषक तत्व युक्त भोजन, उपयुक्त मातृ- शिशु देखभाल अभ्यास, पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं, सुरक्षित एवं स्वच्छ पेयजल और स्वच्छ वातावरण उपलब्ध हो।
यह सुविधाएं सामूहिक सामुदायिक नेतृत्व और विविध विभागों के समन्वित प्रयास से ही संभव हो सकती हैं तथा इसी उद्देश्य से इन जन और युवा संवादों का आयोजन किया जा रहा है।
स्थानीय समुदाय और विभिन्न विभागों के संयुक्त प्रयास से आयोजित इन कार्यक्रमों के द्वितीय चरण में पोषण प्रबंधन, बाल विकास, न्यूट्रीशन स्मार्ट एग्रीकल्चर, फूड फोर्टिफिकेशन, सामुदायिक स्वच्छता और जल प्रबंधन विषयों पर महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, पंचायतीराज, ग्रामीण विकास, कृषि एवं बागवानी विभाग मंथन कर रहे हैं।
इन कार्यक्रमों में पंचायत स्तर पर सभी प्रकार के कुपोषण की जांच, उसके उपचारात्मक उपायों व पोषण उत्सवों के आयोजन के माध्यम से सामाजिक व्यवहार परिवर्तन की नींव रखने का सार्थक प्रयत्न किया जा रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की इन संवाद कार्यक्रमों से जनित संचार, समन्वय, सहभागिता, सहयोग और सहकारिता की भावना सामाजिक और आर्थिक संपन्नता के नए मार्ग प्रशस्त करेगी।