किरण /पधर (मंडी)।
अराजपत्रित कर्मचारी संघ जिला मंडी के पूर्व अध्यक्ष लाल सिंह चावला ने कहा है कि हाल ही में हिमाचल सरकार ने आदेश किए थे कि कर्मचारियों और पैन्शनरों का एरिअर और ग्रेच्युटी सितंबर महीने के वेतन के साथ दे दी जाएगी, परंतु धरातल में यह स्थिती है कि सेवानिवृत कर्मचारियों को आज तक कुछ नहीं मिला।
कई विभागों ने एरियर बना दिया है और कई विभाग एरियर बनाने की बात कर रहे हैं। चावला ने कहा कि इस तरह सरकार के आदेश कागजों में ही धरे के धरे रह जाते हैं। उन्होंने उदारण देते हुए कहा कि छह साल के अंतराल के बाद पंजाब सरकार ने छठे वेतन आयोग की रिर्पोट को लागू किया और हिमाचल सरकार ने भी इसी वर्ष तीन जनवरी को लागू किया। उन्होंने कहा कि नौ महीने की समय अवधि बीत जाने के बाद भी कई सेवानिवृत कर्मचारियों के पैन्शन मामले विभाग ने बनाकर भेजे हैं जो महालेखाकार शिमला कार्यालय में पांच छह महीनों से धूल चाट रहे हैं तो कई कर्मचारियों के मामले एजी कार्यालय को अभी बनाकर भेजे जा रहे हैं। यह सब विभागों की संवेदनहीनता को उजागर करते हैं। चावला ने बताया कि जहां तक ग्रेच्युुटी का मामला है इसकी पहली किस्त का भुगतान महालेखाकार के कार्यालय पर निर्भर करता है। इस कार्यालय से भी उन्हीं कमियों के मामले आते हैं जिनकी सिफारिश आती है अन्यथा मामले रूके पड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार हर वक्त डबल इंजन की सरकार होने का दम भरती है लेकिन कर्मचारियों के मामलों में कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने हकीकत बताते हुए कहा कि सरकार अपना व तंत्र का खर्च चलाने के लिए ऋण के उपर ऋण ले रही है। सरकार को टेक्स से हो रही आय को कर्मचारियों के वेतन और भतों में खर्च होना बताकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। सरकार कर्मचारियों के एरियर की राशि हो दस हजार करोड़ बता रही है। हकीकत यह है कि प्रथम जनवरी 2016 से दो जनवरी 2022 तक सेवानिवृत कर्मचारियों को न तो एरियर मिला है और न ही पैन्शन दी जा रही है। इसके अलावा प्रदेश के हजारों कर्मचारियों जिन्होंने 15 प्रतिशत बढ़ौतरी की आमराय दी उन्हें वर्ष 2016 से 2022 तक का एरियर भी नहीं दिया गया जो कि इसे वेतन आयोग को लागू न करने से कर्मचारियों के साथ धोखा हुआ है। सरकार के कर्मचारियों के एरियर का आंकड़ा संदेह के घेरे में है। उन्होंने कहा कि पैन्शनरों की पांच से पंद्रह प्रतिशत बढ़ौतरी की मांग को मूल वेतन में शामिल करने और 65से 75वर्ष की आयु सीमा पार करने वाले पैन्शनरों को पंजाब सरकार की तर्ज पर बढ़ौतरी भता देने की मांग भी समाप्त कर दी गई है। यह पैन्शनरों के साथ अन्याय है। चावला ने कहा कि प्रदेश भर में पिछले कई महीनों से नई पैन्शन स्कीम कर्मचारियों द्वारा पुरानी पैन्शन स्कीम बहाली को लेकर जो संघर्ष किया जा रहा है उस पर भी सरकार को गंभीरता से मंथन करके पुरानी पैन्शन स्कीम को बहाल करना चाहिए। इस वर्ग को जो पैन्शन मिल रही है वह भी एक भदा मजाक है। यह सब एक राष्ट एक नियम विधान के विपरीत है। चावला ने कर्मचारियों की जायज मांगों के संदर्भ में सरकार से आग्रह किया है कि कर्मचारियों और पैन्शनरों की लंबित समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाए ताकि वंचितों को उनका न्यायोचित लाभ और हक मिल सके। ऐसा न होने पर कर्मचारियों को बाध्य होकर प्रदेश स्तर पर संयुक्त मोरचा बनाकर संर्घष का रास्ता अपनाना पड़ेगा। इसकी पूरी जिम्मेवारी सरकार की होगी।
