खंड स्वास्थ्य शिक्षक सुरेश चंदेल भी रहे मौजूद
मिलाप कौशल/ज्वालामुखी/ न्यूज़ हिमाचल 24
उपमंडल ज्वालामुखी के तहत खंड चिकित्सा अधिकारी ज्वालामुखी डॉ संजय बजाज के आदेशानुसार सिविल अस्पताल देहरा में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी देहरा डॉ गुरमीत सिंह की अध्यक्षता में राष्ट्रीय नवजात शिशु देखभाल सप्ताह के अन्तर्गत जागरूकता शिविर का आयोजन किया ।
इस शिविर में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ गुरमीत सिंह ने शिविर में आई आशा कार्यकर्ताओं को बताया कि राष्ट्रीय नवजात शिशु देखभाल सप्ताह 15 से 21 नवंबर तक मनाया गया । डॉ सिंह ने बताया कि इस नवजात शिशु देखभाल सप्ताह को मनाने का उद्देश्य यही है कि नवजात शिशु को एक महीने तक शिशु को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है ताकि नवजात शिशु की होने वाली मृत्यु दर को रोका जा सके। उन्होंने बताया कि शिशु के जन्म के तुरंत बाद माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध पिलाने से शिशु के शरीर मे विभिन्न प्रकार की बिमारियों से लड़ने की क्षमता मिलती है । और इस क्लोस्ट्रोम दूध को पिलाने से शिशु को पहला टीकाकरण भी कहा जाता है । डॉ सिंह ने बताया कि जब भी हमे नवजात शिशु को पकड़ते समय साफ सफाई का विशेष ध्यान रखे। जब भी बच्चे को गोदी में ले अपने हाथ साबुन पानी से धो ले और नवजात शिशु को भी साफ कपड़े से पोछें, बच्चे को गर्म रखे, और जन्म के बाद 48 घंटे तक शिशु को स्नान न करवाएं, शिशु की नाभि नाल पर कुछ न लगाएं, और यदि शिशु का बजन 2500 ग्राम से कम हो तो उसकी विशेष देखभाल करें और 6 महीने तक बच्चे को केवल माँ का ही दूध पिलाए। किसी प्रकार का शहद, घुटी या अन्य कोई भी पदार्थ न दे। माँ को स्तनपान करवाने के लिए प्रोत्साहित करना। उन्होंने कहा कि नवजात शिशु के जीवन के पहले 28 दिन की अवधि शिशु को जीवित रखने के लिए महत्वपूर्ण अबधि होती है। और इस अबधि मे नवजात शिशु का अन्य अबधि की तुलना में मृत्यु का सबसे अधिक जोखिम रहता है। उन्होंने बताया कि प्रसव सरकारी अस्पताल में ही करवाए। और शिशु की उचित देखभाल के लिए शिशु को 48 घंटे तक अस्पताल में चिकित्सक की देख रेख में रखे। और समय समय पर बच्चे को संपूर्ण टीकाकरण करवाए। क्योंकि आजके स्वास्थ बच्चे ही कल का भविष्य होंगे। खंड स्वास्थ्य शिक्षक ज्वालामुखी सुरेश चन्देल ने बताया कि नवजात शिशु के स्वास्थ जीवन के लिए हमे पहले गर्भ में पल रहे शिशु की देखभाल की जरूरत होती है तो हमे गर्भवस्था के दौरान गर्भवती महिला को अपने खान पान और समय समय पर अपने स्वास्थ्य की जांच करवानी चाहिए तभी वह एक स्वास्थ बच्चे को जन्म दे सकती है। चन्देल ने बताया कि बच्चे का 20 प्रतिशत दिमाग माँ गर्भ में ही बन जाता है और 80 प्रतिशत दिमाग की बढ़ोतरी जन्म से दो वर्ष तक के बच्चों की हो जाती है इस लिए बच्चे का गर्भवस्था के दौरान और जन्म से दो वर्ष तक बच्चे को विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। चन्देल ने बताया कि गर्भवती महिला का पूरी गर्भवस्था में कम से कम 10 से 12 किलोग्राम बजन बढ़ना चाहिए। तभी उस महिला के स्वास्थ व हष्ट पुष्ट बच्चा पैदा होगा। इसके लिए गर्भवती महिला सन्तुलित आहार लें और गर्भावस्था में कम से कम 6 महीने तक आयरन और कैल्शियम की गोली जरूर खाएं।और पूरी गर्भावस्था में कम से कम अपने स्वास्थ्य की जाँच जरूर करवाएं।उन्होंने इस शिविर में आशा कार्यकर्ताओं को जननी सुरक्षा योजना प्लस, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, प्रधानमंत्री मातृ बन्दना योजना, 108 और 102 आपातकालीन सेवा के बारे में, विस्तार पूर्वक बताया तथा लोगो को इन सेवाओं का लाभ उठाने के लिए जागरूक करने की सलाह दी।इस अवसर पर आशा कार्यकर्ताओं की नवजात शिशु देखभाल के बारे में भाषण प्रतियोगिता भी करवाई गई जिसमें प्रथम स्थान पर कमला देवी, द्वितीय स्थान पर पुनिता ,और तृतीय स्थान पर सरिता कुमारी रही। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से भाषण प्रतियोगिता में भाग लेने वाली आशा कार्यकर्ताओं को ईनाम भी दिए गए। इस शिविर में निर्मल वालिया महिला स्वास्थ्य पर्यवेशिका देहरा, विजय कुमार पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता बाड़ी और लगभग 47 आशा कार्यकर्ता शिविर में उपस्थित थे।
