आनंद सूद , देहरा
भगवत भजन में बीता हुआ समय कभी व्यर्थ नहीं जाता उक्त वाक्य कथावाचक पंडित सुमित शास्त्री ने प्राचीन नरसिंह मन्दिर लाल पुखर के नजदीक गांव नलेटी में चल रही श्री मद भागवत कथा के दूसरे दिन कहे। शास्त्री ने वर्णन करते हुए कहा कि सूर्य उदय और अस्त होते हुए मनुष्यों की आयु हरण करते हैं, किन्तु जिसने हरि स्मरण में कुछ समय भी व्यतीत किया, उसकी आयु व्यर्थ नष्ट नहीं होती वह सार्थक हो जाती है ।
शास्त्री ने आगे वर्णन करते हुए कहा कि जब वेदव्यास अपने आश्रम में सरस्वती नदी के तट पर ध्यान में कलियुग के प्राणियों की दशा को देखा तो दुःखी हुए तब नारद जी की प्रेरणा से व गणपति भगवान की सहायता से श्री मद भागवत ग्रंथ की रचना की जिसमे अठारह हजार श्लोक, बारह स्कंध व तीन सौ पैंतीस अध्याय हैं। इसके बाद शास्त्री ने महाभारत प्रसंग,कुंती चरित्र,भीष्म प्रसंग व राजा परीक्षित के जन्म व उनको श्रृंगी के द्वारा दिए हुए शाप की कथा श्रवण करवाई । कथा में हरनाम सिंह,मनु पठानिया,सुखु पंडित,अशोक कुमार,राजेश, कुसुम व सुषमा देवी ने भाग लिया ।
